Nirmala Sitharaman जी:- भारत सरकार ने New Income Tax Bill 2025 को पेश किया है, जिसका उद्देश्य भारतीय कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना है। यह विधेयक 7 फरवरी 2025 को कैबिनेट द्वारा मंजूर किया गया और यह 1961 के आयकर अधिनियम की जगह लेगा। सरकार का कहना है कि इस बिल में कोई अतिरिक्त कर बोझ नहीं डाला गया है, बल्कि कर कानूनों की भाषा को सरल और करदाताओं के लिए अधिक सुविधाजनक बनाया गया है।

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जी Nirmala Sitharaman New Income Tax Bill 2025 का मुख्य उद्देश्य
नए विधेयक का मुख्य आकर्षण “Direct Tax Code” का समावेश है, जिससे कर ढांचे को अधिक व्यवस्थित किया जाएगा। हालांकि, इसमें कर की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, बल्कि मौजूदा नियमों को स्पष्ट और संक्षिप्त किया गया है।
पहले, 1961 का आयकर अधिनियम 823 पृष्ठों में फैला हुआ था, जबकि नया विधेयक केवल 536 क्लॉज, 23 अध्याय और 16 अनुसूचियों में प्रस्तुत किया गया है। इससे न केवल कानूनी जटिलता कम होगी, बल्कि करदाताओं के लिए अनुपालन आसान होगा।
डिजिटल कर सुधार इस विधेयक का एक बड़ा पहलू है। इसके तहत, कर प्रणाली को पूरी तरह पेपरलेस और ऑटोमेटेड बनाया जाएगा, जिससे करदाताओं को भ्रष्टाचार से बचाने और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी। कर अधिकारियों और करदाताओं के बीच मानव हस्तक्षेप कम किया जाएगा, जिससे अनावश्यक जाँच और विवादों की संख्या घटेगी।
मुख्य बदलाव और प्रमुख विशेषताएँ
जटिल भाषा का हटाया जाना: पहले के कानून में कई कठिन शब्द और लंबी व्याख्याएँ थीं, जिन्हें इस बिल में हटाया गया है।
नए अध्याय और प्रावधान
- नया विधेयक 23 अध्याय, 16 अनुसूचियाँ और 536 क्लॉज से मिलकर बना है।
- पुराने 1961 के आयकर अधिनियम में 823 पृष्ठ, 23 अध्याय, 14 अनुसूचियाँ और 298 धाराएँ थीं।
- डिजिटल कर प्रणाली: कर प्रशासन को डिजिटल किया जाएगा, जिससे पेपरलेस टैक्स असेसमेंट संभव होगा और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकेगी।
- कर विवादों में कमी: इस विधेयक में कर संबंधी मुकदमों को कम करने और करदाताओं के लिए एक उपयोगकर्ता-अनुकूल प्रणाली विकसित करने की योजना है।
करदाताओं पर प्रभाव
मध्यम वर्ग के लिए राहत:
- टैक्स की प्रक्रिया सरल होगी, जिससे मध्यवर्गीय करदाताओं को लाभ मिलेगा।
- टैक्स रेट्स नहीं बदले गए हैं, लेकिन अनुपालन आसान बनाया गया है।
व्यापारियों के लिए स्पष्ट नियम:
- नए कर कोड से बिजनेस टैक्सेशन को अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा।
- कम अनुपालन लागत होगी, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को फायदा होगा।
नई कर प्रणाली के तहत कर के स्रोत
इस बिल के तहत, कर योग्य आय पाँच स्रोतों में वर्गीकृत की गई है:
- वेतन से आय (Salary Income)
- गृह संपत्ति से आय (Income from House Property)
- पूंजीगत लाभ (Capital Gains)
- व्यवसाय या पेशे से होने वाली आय (Profits & Gains from Business or Profession)
- अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources)
- इन सभी स्रोतों से प्राप्त आय को जोड़ने के बाद, धारा 80C से 80U तक की कटौतियाँ लागू होंगी और फिर नए बजट में निर्धारित टैक्स स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा।
कब लागू होगा नया विधेयक?
- यह विधेयक 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा।
- संसद में पारित होने के बाद, इसे संसदीय वित्त समिति के पास समीक्षा के लिए भेजा जाएगा।
- नए विधेयक से जुड़ी उम्मीदें और संभावित लाभ
- सरल और संक्षिप्त टैक्स कानून – नए विधेयक में नियमों की संख्या आधी कर दी गई है।
- स्वचालित कर लाभ – अब हर साल बजट में टैक्स छूट की घोषणा करने की जरूरत नहीं होगी।
- डिजिटल सुधार – टैक्स असेसमेंट पूरी तरह से पेपरलेस होगा, जिससे करदाताओं को कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
- निष्पक्ष कर प्रशासन – बिना किसी ठोस आधार के करदाताओं की जाँच नहीं होगी, जिससे अनावश्यक परेशानियों से बचा जा सकेगा।
निष्कर्ष
नया Income Tax Bill 2025 कर प्रणाली को आधुनिक, डिजिटल और पारदर्शी बनाने का एक बड़ा प्रयास है। हालाँकि टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन करदाताओं को अनुपालन में आसानी होगी और कानूनी विवादों में कमी आएगी। सरकार को उम्मीद है कि यह भारतीय कर प्रणाली को अधिक प्रभावी और निष्पक्ष बनाएगा।
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